सचिन में एक और खासियत है - उन्हें हारना बिल्कुल पसंद नहीं है। मेरा दोस्त बताता है कि टूअर के दौरान टीम के सदस्य अपना काफी समय टेबल टेनिस खेलने में बिताते हैं। सचिन की जूझते रहने और मुकाबला करने की भावना वहां भी नजर आती है। वह हारना ही नहीं चाहते। दुनियाभर में बोलर्स बल्लेबाजों को चिढ़ाते, उकसाते या भड़काते नजर आते हैं। लेकिन उनकी यह रणनीति सचिन पर नहीं चलती क्योंकि फिर तो सचिन बोलर को ऐसी सजा देते हैं जो वह याद रखे। इसलिए एक से बढ़कर एक अग्रेसिव बोलर मैदान में सचिन के सामने सलीके से पेशे आते हैं।
वीरेंदर सहवाग एक मजेदार वाकया सुनाते हैं। एक बार पाकिस्तान के साथ मैच में शोएब अख्तर खूब आग उगल रहे थे। सचिन और सहवाग उस वक्त क्रीज पर थे। हर बॉल फेंकने के बाद शोएब, सहवाग के पास आकर कहते, 'दम है तो इसपर शॉट लगाकर दिखाओ।' थोड़ी देर बाद सहवाग (द्रविड़ और सचिन के साथ टीम के वह तीसरे खिलाड़ी जिनका मैं सम्मान करता हूं) ने झुंझलाकर शोएब से सचिन की ओर इशारा करते हुए कहा, 'तेरा बाप उधर खड़ा है, उसको बोल के देख।'
थोड़ी देर के बाद शोएब ने सचिन को एक जोरदार बाउंसर डाली और सचिन ने बड़ी आसानी से उसे 6 रन के लिए पविलियन पहुंचा दिया। अब सहवाग, शोएब के पास पहुंच और उससे बोले - बाप, बाप होता है और बेटा, बेटा। यह बात साफ है कि सचिन किसी अलग ही मिट्टी के बने हुए हैं। 50 टेस्ट सेंचुरी के साथ सचिन 46 वनडे सेंचुरी भी जड़ चुके हैं। सबकी यही ख्वाहिश है कि सचिन चार और सेंचुरी बनाकर, शतकों का शतक पूरा करें।
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